Sunday, August 29, 2010
पाक की मदद से बेहतर है कुत्ते को रोटी खिला दो
पाकिस्तान ऐसी वेश्या है जो पैसे के लिए किसी के साथ भी हमबिस्तर हो सकती है, लेकिन प्यार करने वाले को गले नहीं लगा सकती। हालांकि वफा वह पैसा देने वालों से भी नहीं करती, बस वफा का नाटक करती है। इन शब्दों से संभव है कई लोगों को ऐतराज हो, लेकिन पाकिस्तान की हालिया हरकत के जबाव में मेरे पास इससे बेहतर उदाहरण नहीं है।भारत बाढ़ पीडि़तों की नि:स्वार्थ मदद करना चाहता है, स्वयं सबसे पहले पेशकश की, पहले पाकिस्तान ने ना-नुकुर किया, फिर सहायता स्वीकार कर ली राहत कर्मियों को वीजा नहीं दिया और अब कहता है कि अपनी सहायता संयुक्त राष्ट्र संघ के जरिए भेजिए। दूसरी ओर चीन हथियार दे रहा है, परमाणु सामग्री दे रहा है, अमेरिका भरपूर पैसा दे रहा है, इसलिए पाकिस्तान उनके सामने दुम हिलाता रहता है। चीन के लिए अमेरिका को और अमेरिका के लिए चीन को चूतिया बनाकर अपना हित साधता रहता है। इसलिए कहता हूं कि पाकिस्तान की मदद करने बेहतर है कि किसी कुत्ते को रोटी खिला दो। क्योंकि रोटी खाने के बाद कुत्ता वफादारी निभाता और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इससे राहू नियंत्रित होता है।बाढ़ से कराह रही जनता के परिप्रक्ष्य में यह दूसरी आपत्तिजनक बात हो सकती है। क्योंकि आपत्तिकाल में फंसे व्यक्ति की सहायता करना किसी का भी परमकर्तव्य है। किंतु जो भारत विरोधी नारे लगाने में शामिल हों और जिनका मुस्तकबिल न केवल हरामखोर बल्कि गद्दार और एहसानफरामोश हो उनके प्रति न तो मेरे मन में कोई संवेदना है ना ही प्रेम। मुंबई हमलों के गुनहगार हाफिज सईद की रैली में लाखों पाकिस्तानियों ने भारत के खिलाफ जहर उगला, राष्ट्रीय ध्वज को आग लगाई। हम उन्हें चंद सईद समर्थक कहकर क्षमा नहीं कर सकते, दूसरी बात पाकिस्तान के किसी भी कौने से कभी भी भारत के खिलाफ चलाए जा रहे नापाक अभियानों के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठती। दूसरी ओर भारत में पाकिस्तान विरोधी बातों पर आलोचनाएं शुरू हो जाती हैं। बेशक राहत शिविरों में कई अच्छे लोग होंगे लेकिन जिस तरह सैकड़ों कुचक्रों को जानने और सहने के बाद भारत का एक बड़ा वर्ग पाकिस्तानियों के पक्ष में खड़ा हो जाता है, सरकार हमेशा दोस्ती और मदद के लिए तैयार रहती है, पाकिस्तान का कोई बंदा ऐसा करने से परेहज करता है और हुक्मरानों का कमीनापन तो दुनिया वर्षों से देख रही है। इस मुसीबत के समय में भी पाकिस्तानी हुक्मरान सिर्फ इसलिए मदद स्वीकार करने में आनाकानी कर रहे हैं, ताकि अपनी जनता से कह सकें कि हमने विपत्ती के समय में भी पड़ोसी मुल्क से मदद नहीं ली। कालांतर में यही काम जुल्फिकार अली भुट्टो ने भी किया था। उन्होंने अपनी जनता को आश्वस्त किया था कि हम हजार वर्षों तक घास की रोटी खा लेंगे लेकिन भारत के सामने नहीं झुकेंगे। हालांकि भारत ने कभी पाकिस्तान को झुकाने की नीयत से न तो मदद की न लड़ाई। फिर भी पाकिस्तान का रवैया सदैव उकसाने और पीठ में छुरा घोंपने वाला रहा। बहरहाल जुल्फिकार अली को फांसी पर लटका दिया और पाकिस्तानी सेना को भारतीय फौजों ने कुत्तों की तरह मारकर भगा दिया।एक और महत्वपूर्ण मसला। पाकिस्तान को आज तक जिन देशों ने मदद की है उनकी मदद का दुरुपयोग भारत के खिलाफ हुआ। इसके अलावा अहसान फरामोश भी है। अमेरिका लाखों डालर की मदद आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों और आम जनता की बेहतरी के लिए करता है, लेकिन पाकिस्तन इसका इस्तेमाल आतंकियों को पालने-पोसने और भारत के खिलाफ फौजों की तैयारी में खर्च करता है। इस वक्त चीन की जांघ पर बैठकर उसे सहला रहा है, पीओके का मालिकाना हक उसे सौंपने जा रहा है, क्योंकि चीन ने अमेरिकी विरोध के बावजूद पाकिस्तान से परमाणु करार कर लिया है और हथियार तो देता ही रहता है। पाक दोनों को बेवकूफ बना रहा है, कभी चीन को सहलाता है और जिस दिन अमेरिका आंख दिखाता है उसके सामने 90 अंश पर झुक जाता है।हालांकि चीन और अमेरिका भी स्वार्थी हैं, वे अपने-अपने स्वार्थों के लिए ही उसकी मदद करते हैं उन्हें पाकिस्तान की आबादी से कोई मतलब नहीं है, फिर भी पाकिस्तान हंसकर उनकी हर मदद स्वीकार करता है, लेकिन भारत नि:स्वार्थ मदद करता है, उसके उज्जवल भविष्य की कामना करता है, इसलिए किसी अय्याश वेश्या की तरह पाकिस्तान उसके सामने अकड़ता रहा है। बहरहाल हमारी संस्कृति सांपों को दूध पिलाने और बिच्छू को पानी से बाहर निकालने की रही है, इसलिए हमारी सरकार संयुक्त राष्ट्र के जरिए ही दुखी-पीडि़त जनता को मदद करने की तैयारी कर रही है।
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आज भारत के शासकों में आत्मसम्मान हया शर्म तो कुछ बाकी नहीं है भ्रष्टाचार चाटुकारिता और पाकिस्तान परस्ती भरपूर है कुछ तो जबरदस्ती सेकुलर बनने के जोश में हर सही को भी गलत इसलिए कहते हें कि सोनियाजी नाराज़ न हो जाएँ अगले चुनाव में वोट न गवां दें. क्या ऐसे लोग आपकी सलाह पर ध्यान देंगे?
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