Friday, August 27, 2010

समझो ड्रेगन की चाल

विवादित कश्मीर में नत्थी वीजा, वरिष्ठ सैन्य अफसर को वीजा नहीं देना, ब्रह्मपुत्र पर बांध, सीमा पर सड़क, सीमा पर मिसाइल, परमाणु पनडुब्बियों को छिपा कर रखने के लिए सुरंगें, पाकिस्तान के साथ परमाणु करार और हर कदम पर भारत के विरोध में मदद, नेपाल को भारत के खिलाफ भड़काना, एवरेस्ट पर सड़क, 40 अरब डालर के व्यापार की चकाचौंध में चौंधियाये देश के कर्णधारों को चीन की ये गतिविधियां दिखाई नहीं दे रहीं हैं, जिनके चलते उसने भारत पर पूरी तरह शिकंजा कसने की तैयारी कर रखी है। और आगामी तैयारियों के तहत वह भारत को पूरी तरह विवश करने का प्रयास करेगा। इसके लिए उसने पाकिस्तान, बांगलादेश और ताजा-ताजा गणतंत्र देशों में शामिल हुए नेपाल को हथियार बना रहा है।पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में अपना जाल बिछाकर चीन लगातार भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के साथ परमाणु समझौता कर चुका है। बांग्लादेश के रूपपुर में भी चीन परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने में सहयोग की पेशकश कर चुका है। नेपाल में जबसे माओवादियों का राजनीतिक वर्चस्व बढ़ा है लगातार नेपाल चीन की ओर झुकता जा रहा है। वैश्विक एजेंसियां लगातार इस बात की शंका जाहिर कर रही हैं कि पाक परमाणु हथियार कहीं आतंकवादियों के हाथ न लग जाएं। लेकिन चीन को इसकी चिंता नहीं है। उसका लक्ष्य मात्र भारत को घेरना है। इसलिए वे आतंक के निर्यातक ही सही चीन उनकी मदद करेगा। लेकिन भारत सरकार को यह दिखाई नहीं दे रहा है, सब उलझे हुए हैं देशी जनता को वोटों के लिए आपस में लड़ाने में धर्म, आरक्षण और जातिवाद की भट्टïी झोंकने में। किसी की जुर्ररत नहीं कि पड़ोसी की ओर आंखें तरेर कर कह सके, फलां जगह आपकी स्वतंत्रता और सत्ता समाप्त होती है और इसीलिए चीन छाती पर चढ़ता आ रहा है। हालिया वीजा विवाद में हालांकि विदेश मंत्रालय ने सख्ती दिखाई है, लेकिन रक्षा मंत्री अब भी दो टूक बोलने से परहेज कर रहे हैं, न जाने क्यों उन्हें एक धोखेबाज से द्विपक्षीय संबंधों में लाल लगे दिख रहे हैं।

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