Sunday, July 25, 2010
मजबूर प्रधानमंत्री, कमजोर सरकार
महंगाई के सामने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी यूपीए सरकार ने घुटने टेक दिए। प्रधानमंत्री ने बिना किसी लाग लपेट के कह दिया कि यदि पानी बरसा तो दिसंबर तक महंगाई घटेगी वरना मुश्किल है। यह पहली बार नहीं है जब मनमोहन सिंह जी ने ऐसी हताशा भरी बातें की हैं। इससे पहले भी गरीबों को बचाने की एक सीमा होने का बयान दे चुके हैं। पीएम की इस शर्मनाक बयानी को जनता अपनी नियति मानकर ओढ़ भी लेगी लेकिन आंकड़ेबाज प्रधानमंत्री अपने कलेजे पर हाथ रखकर बताएं कि धन्नासेठों की तरक्की की सीमा क्या मानते हैं? क्यों नहीं तेल कंपनियों की लाभ-हानि को भगवान भरोसे छोड़ दिया, जिस प्रकार महंगाई पर लगाम भगवान के भरोसे छोड़ दी।शास्त्र कहते हैं ऐसे राजा के विषय में दुख करना चाहिए जो नीति न जानता हो और जिसे अपनी प्रजा प्राणों के समान प्रिय न हो। और ऐसा राजा नरक का अधिकारी होता है। शास्त्र कहते हैं जो राजा प्रजापालन में सक्षम न हो उसे राज करने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन धन्य हो आधुनिक राजाओ, तुम्हें तो लज्जा भी नहीं आती। यह कितनी शर्मनाक स्वीकारोक्ति है कि हमने गरीबों को बचाने का भरसक प्रयास किया लेकिन इसकी भी कोई सीमा होती है। और कितना बड़ा धोखा है, जनता को महंगाई की आग में झोंककर उसे भगवान भरोसे छोडऩे का। क्या किसी भी देश के मुखिया के ऐसे बचन कभी सुनने को मिले हैं? लानत है ऐसे प्रजापालक पर जो अपने देशवासियों को भगवान भरोसे छोड़कर चैन की सांस लेने का विचार मन में लाता है। क्यों इन्हें शर्म नहीं आती कि देश की तरक्की के नाम पर करों का बोझ जनता पर लादने से, कंपनियों को घाटे के नाम पर आवश्यक वस्तुएं महंगी करने से एक ओर गरीब आदमी की पीठ और पेट के बीच अंतर खत्म होता जा रहा है, दूसरी ओर तमाम रियायतें पाकर धन्नासेठों की तोंद फूल रही है, उनकी तिजोरियां निरंतर बड़ी होती जा रही हैं। तमाम रईस पोषित योजनाओं में धन खपाने और ऐसे रईसों को रियाततें बंद करने के बजाये मनमोहन सरकार गरीबों को भगवान भरोसे छोड़ रही है। क्या सिर्फ इसलिए कि योजनाएं बंद होंगी तो कमीशन बंद हो जायेगा? धन्ना सेठों को रियायतें नहीं मिलेंगीं तो चुनावी फंड बंद हो जायेगा? मशीनें बंद हो जायेंगीं, कारखाने बंद हो जायेंगे? विद्वान अर्थशास्त्री जी वैसे भी यह तभी तक गतिमान रहेगा, इन सबका तभी तक कोई मतलब रहेगा जब तक गरीब जिंदा है, जिस दिन गरीब खत्म हो जायेगा, उस दिन सब कुछ खत्म हो जायेगा। सारे विकल्पों को नजरअंदाज करके ईंधन में मूल्यवृद्धि की आग लगाकर आपने नीयत साफ कर दी है तो भविष्य में नतीजे के लिए भी तैयार रहिए। हर आदमी की जुबां पर बस यही बात है कि कांग्रेस का हाथ, महंगाई के साथ...।
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