आखिरकार सरकार दुष्टता पर उतर आई, अनशन से पहले अन्ना हजारे को गिरफ्तार कर लिया गया। सारा देश अन्ना के साथ है इसने सरकार के हाथ-पैर फुला दिए हैं, जबकि विपक्ष इस जनसमर्थन को लॉलीपॉप की तरह देख रहा है। भगवान किसी देश में ऐसा विपक्ष पैदा न करे। आज अन्ना को जो मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं, जिस तरह देश में माहौल बन रहा है इसके लिए जितनी जिम्मेदार सरकार है उतना ही जिम्मेदार विपक्ष है। विपक्ष यदि सरकार पर पहले दबाव बनाता तो लोकपाल बिल में वे शर्तें जोड़ी जा सकती थीं जिनको लेकर अन्ना को आज सड़कों पर उतरना पड़ा। लेकिन इस देश का दुर्भाग्य कि सरकार दुष्ट है और विपक्ष दोगला है। सरकार किसी भी सूरत में नहीं चाहती कि उस पर किसी तरह का अंकुश लगे, इसलिए वह अन्ना की मांगें मानने को तैयार नहीं है, और भाजपा जनहित की बजाए इस आंदोलन से अपने करीब आती कुर्सी देख रही है। बहरहाल ये ऐसे खर-दूषण हैं जिनका वध जरूरी है पर दूसरा कोई विकल्प न होने से इन्हें जिंदा रखना पड़ता है।
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