Saturday, February 20, 2010
इल्जाम किसी और के सिर आए तो अच्छा
देश की ख्याति राम की मर्यादा, कृष्ण के कर्म, बुद्ध की अहिंसा, महावीर के अपरिग्रह, स्वामी विवेकानंद के आधुनिक दर्शन, दयानंद के सामाजिक उत्थान के कारण फैली है। अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के नाम से पूरा विश्व अहिंसा दिवस मनाने पर एकमत है, उसी देश में इंसान के पशु बन जाने की यह घटना वाकई त्रासद है। चाहे वह स्वार्थ के कारण इंसान को इंसान न समझने के कारण हो, या फिर भूख से तिललित मरते बच्चों को रोटी का टुकड़ा उपलब्ध कराने के लिए हो, या फिर स्वार्थ के कारण आदमी को मार डालने के लिए हो।दुर्भाग्य, कभी देश की पहचान विश्व में विश्व गुरू के रूप में थी, सरकारी नीतियों, अधिकार संपन्नों की नीयत और काम, क्रोध, लोभ की प्रधानता के कारण, आज सर्वाधिक हत्यारों, व्यभिचारियों, भ्रष्टïाचारियों के रूप में बन रही है। हम जानते हैं कि निश्चित रूप से सरकार विश्व मंच पर यही चाहेगी, इल्$जाम किसी और के सिर आए तो अच्छा, लेकिन अपनी आत्मा की आवाज से पीछा कैसे छुड़ा पाओगे।यह कैसे नकार पाओगे कि इन सबके पीछे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से केवल और केवल एक ही लॉबी का हाथ है, जिनसे अपने अधिकारों का अनुचित प्रयोग किया। केवल अपने स्वार्थ के लिए अपराधियों को पनाह दी, धन्नासेठों की चरण पूजा की, और भूखों को सर्वधा नजरअंदाज किया। जिसने भी इनके विरुद्ध आवाज बुलंद की वे कालांतर में तमाम हिंसा फैलाने वाले संगठन कहलाये, जबकि स्वयं हिंसा करने के बाद भी राजनीतिक और सामाजिक दल। अभी कल ही महाराष्टï्र में किसी शिवसंग्राम सेना के कार्यकर्ताओं ने एक पत्रकार के घर हमला बोल दिया। कुसूर सिर्फ इतना कि उसने इनके विरोध में बोलने का दु:साहस किया था।आदमी को जानवर बनाने का मठ हर राजधानी में खुला है, जहां से मंत्र फूके जाते हैं, और सुदूर क्षेत्र में आदमी जानवर बन जाता है। कुछ लोगों के लिए अकूत संपदा, सुविधा का मंत्र फूका, उन्होंने कानून को अपनी चौखट की बांदी समझ लिया, किसी को भी मार-काट देना, घर से बेघर कर देना बीड़ी पीने जैसा मामूली है उनके लिए। इनकी निगाह में गरीब, अपना हक मांगने वाला, और इनका विरोध करने वाला इंसान नहीं है, उसे मार देना चाहिए। इनकी औलादों ने पश्चिम का ऐसा लबादा ओढ़ा जिसे भेदने में हमारे पुरातन संस्कार सक्षम साबित नहीं हुए, और जिनको भेदन की कोशिश की उन्होंने उन्हें ऐसा विकृत किया कि संस्कार कुसंस्कार में बदल गया। कुछ मानसिक रूप से जानवरों को मंत्र मारकर इंसान साबित कर दिया। वे विशेष समय में इनके लिए अपनी प्रवृत्ति को पुर्नजीवित करते हैं, मारकाट करते हैं, और बाद में सब ठीक हो जाता है। गरीबों को भूख का ऐसा मंत्र दिया कि बुंदेलखंड के कनकुआं गांव में भूख से व्याकुल लोग पड़ोसी की रोटी लूट लेते हैं। यह स्थिति तभी पैदा होती है, जब मुट्ठी भर दाने भूख मिटाने को दुर्लभ हो जाएं!स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था जब तक हमारे देश का एक भी कुत्ता भूखा है, उसे रोटी देना हमारा सबसे बड़ा धर्म है। ऐसा लगता है कि इनमठाधीशों ने स्वामी जी के वाक्य को अक्षरश: अपनाया है। तभी तो इंसान को खाना भले ही नसीब न हो, इनके कुत्तों को रोजाना लजीज भोजन दिया जाता है, वे कार से गोदी और बिस्तर तक पहुंच गये, और आदमी रोटी लूट कर झपट कर खाने को विवश हुआ। धन्य हो देश के भाग्य विधाता, आपने महात्माओं के देश को हत्यारों के देश में तब्दील करने में जो महती योगदान किया है, उसे कयामत तक याद रखा जाएगा। फिर भी हम कोशिश करेंगे इसका इल्जाम किसी और के सिर आए तो अच्छा।
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